Monday 9 January 2017

अर्धसत्य से बचें

एक नाविक तीन साल से एक ही जहाज पर काम कर रहा था । एक दिन नाविक रात में नशे में धुत हो गया । ऐसा पहली बार हुआ था । कैप्टन ने इस घटना को रजिस्टर में इस तरह दर्ज किया, "नाविक आज रात नशे मेँ धुत था ।"
नाविक ने यह बात पढ़ ली । नाविक जानता था कि इस एक वाक्य से उसकी नौकरी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा । इसलिए वह कैप्टन के पास गया, माफी मांगी और कैप्टन से कहा कि उसने जो कुछ भी लिखा है, उसमे आप ये जोड़ दीजिये कि ऐसा तीन
साल में पहली बार हूआ है, क्योंकि पूरी सच्चाई यही है।
कैप्टन ने उसकी बात से साफ इंकार कर दिया और कहा,-" कि मैेने जो कुछ भी रजिस्टर मेँ दर्ज किया है, वही सच है।"
कुछ दिनों बाद नाविक की रजिस्टर भरने की बारी आयी। उसनेँ रजिस्टर मेँ लिखा-" आज की रात कैप्टन ने शराब नही पी है।" कैप्टन ने इसे पढ़ा और नाविक से कहा कि इस वाक्य को आप या तो बदल दे अथवा पूरी बात लिखने के लिए आगे कुछ और लिखें क्योँकि जो लिखा गया था, उससे जाहिर होता था कि कैप्टन हर रोज रात को शराब पीता था। नाविक ने कैप्टन से कहा कि उसने जो कुछ भी रजिस्टर मेँ लिखा है, वही सच है।
दोनो बातें सही हैँ, लेकिन दोनो से जो संदेश
मिलता है, वह झूठ के सामान है।
मित्रों इस काहनी से हम दो बातें सीखने को मिलती है, पहली – हमें कभी इस तरह की बात नहीं करी चाहिए जो सही होते हुए भी गलत सन्देश दे और दूसरी किसी बात को सुनकर उस पर अपना विचार बनाने या प्रतिक्रिया देने से पहले एक बार सोच लेना चाहिए कि कहीं इस बात का कोई और पहलू तो नहीं है । संक्षेप में कहें तो हमे अर्धसत्य से बचना चाहिए ।

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