Saturday 2 September 2017

Wednesday 2 August 2017

Fwd: didi ma report





Sent from my Samsung Galaxy smartphone.
-------- Original message --------
From: Keshavlal Patel <keshavpatel36@gmail.com>
Date: 02/08/2017 7:06 am (GMT+05:30)
To: Puneet Goyal <puneet.goyal@vatsalyagram.org>, puneetd@hotmail.com, SANJAY GUPTA <sanjaybhaiyya@gmail.com>
Subject: Fwd: didi ma report

Dear Devotees of P S P

I forward herewith a link of report of P P Didi Maa's visit in Los Angeles and event in City of La Palma Community Hall. It was only for invitees who have had worked in past for Param Shakti Peeth of America & P P Didi Maa. It was  glorious event. Miss Michele , Mayor of La Palma City came to get Blessing fro P P Didi Maa. 

With High Regards & Thanks,

Prof. Keshav Patel
 Param Shakti Peeth of America
Trustee: Vishwa  Hindu Parishad, India

Vice President :Hindu University of America

714-809-2446 (M) | Email: keshavpatel36@gmail.com


---------- Forwarded message ----------
From: devika chhibber mehta <devikaijreporter@gmail.com>
Date: Fri, Jul 21, 2017 at 9:08 AM
Subject: didi ma report
To: keshavpatel36@gmail.com


Sir,

Please find the link to Didi Maa story:


Thanks!

_____________________________________
Devika Chhibber Mehta

Staff Reporter- India Journal

Call me at 818-505-4456

website: www.indiajournal.com



Tuesday 18 July 2017

घनघोर अंधेरा छाये जब..

*घनघोर अंधेरा छाये जब,*
*कोई राह नज़र ना आये जब,*
*कोई तुमको फिर बहकाये जब,*
*इस बात पे थोड़ी देर तलक,*
*तुम आँखें अपनी बंद करना,*
*और अंतरमन की सुन लेना,*
*मुमकिन है हम-तुम झूठ कहें,*
*पर अंतरमन सच बोलेगा..!!*

*जब लम्हा-लम्हा 'आरी' हो,*
*और ग़म खुशियों पे भारी हो,*
*दिल मुश्किल में जब पड़ जाये,*
*कोई तीर सोच की 'अड़' जाये,*
*तुम आँखें अपनी बंद करना*
*और अंतरमन की सुन लेना,*
*मुमकिन है हम-तुम झूठ कहें,*
*पर अंतरमन सच बोलेगा..!!*

*जब सच-झूठ में फर्क ना हो,*
*जब गलत-सही में घिर जाओ,*
*तुम नज़र में अपनी गिर जाओ,* 
*इस बात पे थोड़ी देर तलक,*
*तुम आँखें अपनी बंद करना,*
*और अंतरमन की सुन लेना,*
*मुमकिन है हम-तुम झूठ कहें,*
*पर अंतरमन सच बोलेगा..!!*

*ये जीवन एक छाया है,*
*दुख, दर्द, मुसीबत माया है,*
*दुनिया की भीड़ में खोने लगो,*
*तुम खुद से दूर होने लगो,*
*तुम आँखें अपनी बंद करना,* 
*और अंतरमन की सुन लेना,*
*मुमकिन है हम तुम झूठ कहें,*
*पर अंतरमन सच बोलेगा..!!*


Friday 23 June 2017

अकेलापन और एकांत

अकेलापन' इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है.!
और 'एकांत'
इस संसार में सबसे बड़ा वरदान.!!
ये दो समानार्थी दिखने वाले
शब्दों के अर्थ में
. आकाश पाताल का अंतर है।
अकेलेपन में छटपटाहट है
तो एकांत में आराम है।
अकेलेपन में घबराहट है
तो एकांत में शांति।
जब तक हमारी नज़र
बाहरकी ओर है तब तक हम.
अकेलापन महसूस करते हैं
और
जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी
तो एकांत अनुभव होने लगता है।
ये जीवन और कुछ नहीं
वस्तुतः
अकेलेपन से एकांत की ओर
एक यात्रा ही है.!!
ऐसी यात्रा जिसमें
रास्ता भी हम हैं, राही भी हम हैं
और मंज़िल भी हम ही हैं.!!
🎇🎇 *शुभम मंगलम*

Friday 26 May 2017

कृपया अपनी बेटियों को जरूर ऐसे संस्कार दे ...

बेटा-बहु
बेटा-बहु अपने बैडरूम में बातें कर रहे थे। द्वार खुला होने के कारण उनकी आवाजें बाहर कमरे में बैठी
माँ को भी सुनाई दे रहीं थीं।
बेटा-" अपने नौकरी के कारण हम माँ का ध्यान नहीं रख पाएँगे, उनकी देखभाल कौन करेगा ? क्यूँ ना, उन्हें वृद्धाश्रम में दाखिल करा दें, वहाँ उनकी देखभाल भी होगी और हम भी
कभी कभी उनसे मिलते रहेंगे।
बेटे की बात पर बहु ने जो कहा, उसे सुनकर माँ की आँखों में आँसू आ गए।
बहु--" पैसे कमाने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है जी, लेकिन माँ का
आशीष जितना भी मिले, वो कम है। उनके लिए पैसों से ज्यादा हमारा संग-साथ जरूरी है। मैं अगर नौकरी ना करूँ तो कोई बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा।
मैं माँ के साथ रहूँगी
घर पर ट्यूशन पढ़ाऊँगी,
इससे माँ की देखभाल भी कर
पाऊँगी। याद करो, तुम्हारे बचपन में ही तुम्हारे पिता नहीं रहे और घरेलू काम धाम करके तुम्हारी माँ ने तुम्हारा पालन पोषण किया, तुम्हें पढ़ाया
लिखाया, काबिल बनाया।
तब उन्होंने कभी भी पड़ोसन के पास तक नहीं छोड़ा, कारण तुम्हारी देखभाल कोई दूसरा अच्छी तरह नहीं करेगा, और तुम आज ऐंसा बोल रहे हो। तुम कुछ भी कहो, लेकिन माँ हमारे ही पास रहेंगी, हमेशा अंत तक।
बहु की उपरोक्त बातें सुन, माँ रोने लगती है और रोती हुई ही, पूजा घर में पहुँचती है। ईश्वर के सामने खड़े होकर माँ उनका आभार मानती है
और उनसे कहती है--" भगवान, तुमने मुझे बेटी नहीं दी, इस वजह से
कितनी ही बार मैं तुम्हे भला बुरा
कहती रहती थी, लेकिन ऐंसी भाग्यलक्ष्मी देने के लिए तुम्हारा आभार मैं किस तरह मानूँ...?
ऐंसी बहु पाकर, मेरा तो जीवन सफल हो गया, प्रभु।
मित्रो यह कहानी आज के परिवेश में बहुत महत्व रखती है कि आखिर हमारी संस्कृति को हम क्या आयाम दे रहे हैं। कृपया अधिक से अधिक शेयर करके अपने दोस्तों को भी पढ़वाएं।
अपनी बेटियों को जरूर ऐसे संस्कार दे
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Friday 14 April 2017

अच्छे के साथ अच्छे बनें

अच्छे के साथ अच्छे बनें, 
पर  बुरे के  साथ बुरे नहीं।

                     *....क्योंकि -*
                           🔰
             *हीरे से हीरा तो तराशा जा* 
             *सकता है लेकिन कीचड़ से*
             *कीचड़  साफ  नहीं किया*
             *जा सकता ।*

Thursday 13 April 2017

छोटी सी है ज़िंदगी बस,हर किसी से प्यार करो...

हर किसी के अन्दर अपनी
"ताकत"और अपनी"कमज़ोरी"
 होती है...
        "मछली"जंगल मे नही दौड*़ 
      *सकती और"शेर"पानी मे राजा*
*नही बन सकता.....!!*

                  *इसलिए*  
                *"अहमियत"*
            *सभी को देनी चाहिये....
  🌾🌿🌾🌿🌾✍​🌾🌿🌾
               *मन की आंखो से* 
              *प्रभु का दीदार करो*
             *दो पल का है अन्धेरा* 
        *बस सुबह का *इन्तजार करो*
                    *क्या रखा है*
           *आपस के बैर मे ए यारो*
           *छोटी सी है ज़िंदगी बस* 
             *हर किसी से प्यार करो...*              
                ¸.•*""*•.¸ 
                .........✍   


*वो रिश्ते बड़े प्यारे होते हैं*

*जिनमे न हक़ हो, न शक हो*
*न अपना हो, न पराया हो*

*न दूर हो , न पास हो*
*न जात हो, न ज़ज्बात हो*

*सिर्फ अपना पन का*       
*एहसास ही एहसास हो।*

    
⛴"पूरे  समुंद्र  का  पानी  भी एक  जहाज  को  नहीं डुबा  सकता,  जब  तक पानी को जहाज  अन्दर  न आने दे।🛳
             
इसी  तरह  दुनिया  का कोई  भी  नकारात्मक विचार  आपको  नीचे नहीं  गिरा  सकता,  जब तक  आप  उसे  अपने अंदर  आने  की  अनुमति  न  दें।"

                अच्छा दिल
                    और 
           अच्छा स्वभाव दोनो
                आवश्यक है।
    अच्छे दिल से कई रिस्ते बनेगे और 
            अच्छे स्वभाव से वो
            जीवन भर टिकेगे
💞💞🍁🎭🍁💞💞

         *✏रिश्तो की सिलाई अगर*
                 *भावनाओ से हुई है*
                 *तो टूटना मुश्किल है..*
             *और अगर स्वार्थ से हुई है,*
               *तो टिकना मुश्किल है..✍​*

Wednesday 12 April 2017

🌴 *इच्छापूर्ति वॄक्ष* 🌴


एक घने जंगल में एक *इच्छापूर्ति वृक्ष* था, उसके नीचे बैठ कर कोई भी *इच्छा* करने से वह *तुरंत पूरी* हो जाती थी। यह बात बहुत कम लोग जानते थे..क्योंकि उस घने जंगल में जाने की कोई *हिम्मत ही नहीं* करता था।
 एक बार संयोग से एक थका हुआ *व्यापारी* उस वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए बैठ गया उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी नींद लग गई। *जागते ही* उसे बहुत *भूख लगी* ,उसने आस पास देखकर सोचा- ' काश *कुछ खाने को मिल जाए !*' तत्काल स्वादिष्ट *पकवानों से भरी थाली* हवा में तैरती हुई उसके सामने आ गई। व्यापारी ने *भरपेट खाना* खाया और भूख शांत होने के बाद सोचने लगा.. *काश कुछ पीने को मिल जाए..*' तत्काल उसके सामने हवा में तैरते हुए अनेक *शरबत* आ गए। *शरबत* पीने के बाद वह आराम से बैठ कर सोचने लगा- ' *कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूँ।* हवा में से खाना पानी प्रकट होते पहले कभी नहीं देखा न ही सुना..जरूर इस *पेड़ पर कोई भूत* रहता है जो मुझे खिला पिला कर बाद में *मुझे खा लेगा* ऐसा सोचते ही तत्काल उसके सामने एक *भूत आया और उसे खा गया।*

इस प्रसंग से आप यह सीख सकते है कि *हमारा मस्तिष्क ही इच्छापूर्ति वृक्ष है आप जिस चीज की प्रबल कामना करेंगे वह आपको अवश्य मिलेगी।* अधिकांश लोगों को जीवन में बुरी चीजें इसलिए मिलतीहैं..... क्योंकि वे *बुरी चीजों की ही कामना* करते हैं। इंसान ज्यादातर समय सोचता है-कहीं बारिश में भीगने से मै *बीमार न हों जाँऊ* ..और वह *बीमार हो जाता हैं*..! इंसान सोचता है - मेरी *किस्मत ही खराब* है .. और उसकी *किस्मत सचमुच खराब* हो जाती हैं ..! इस तरह आप देखेंगे कि आपका *अवचेतन मन* इच्छापूर्ति वृक्ष की तरह आपकी *इच्छाओं को ईमानदारी से पूर्ण* करता है..! इसलिए आपको अपने मस्तिष्क में *विचारों को सावधानी से प्रवेश* करने की *अनुमति देनी चाहिए।* यदि *गलत विचार* अंदर आ जाएगे तो *गलत परिणाम* मिलेंगे। *विचारों पर काबू* रखना ही अपने *जीवन पर काबू* करने का रहस्य है..! आपके *विचारों से ही* आपका *जीवन* या तो.. *स्वर्ग* बनता है या *नरक*..उनकी बदौलत ही आपका *जीवन सुखमय या दुख:मय* बनता है.. *विचार जादूगर* की तरह होते है , जिन्हें *बदलकर* आप अपना *जीवन बदल* सकते है..! इसलिये सदा *सकारात्मक सोच* रखें .. यदि आप *अच्छा सोचने लगते है*तो पूरी *कायनात* आपको और अच्छा *देने में लग जाती है।*

Tuesday 11 April 2017

वात्सल्य आश्रम, कानपुर में शनिदेव के दर्शन हेतु अवश्य पधारें !



वात्सल्य आश्रम कानपुर






ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी

एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया
वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं।
अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।
जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।
सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया....
अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।
ध्यान रखे
आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी बहुत तरह की गंदगी आप पर गिरेगी जैसे कि ,
आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा
कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा
कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे...
ऐसे में आपको हतोत्साहित हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।
सकारात्मक रहे
सकारात्मक जिए...
बहुत सुन्दर सन्देश
इंसान के अंदर जो समा जायें वो
" स्वाभिमान "
और
जो इंसान के बहार छलक जायें वो
" अभिमान "
: समझदार व्यक्ति वह नहीं जो ईट का जवाब पत्थर से दे ।
समझदार व्यक्ति वो हैं जो फेंकी हुई ईट से अपना, आशियाना बना ले..